१- चाँद को हमने दागदार देखा था
ये चाँद फिर कहाँ से बेदाग़ आ गया
२- दिल की तमन्ना को जुबाँ पे लायें क्यूँ
जब नजरें ही प्यार की हर बात कह रही
३- याद आती है तुम्हारी जब चिराग जल उठतें हैं
और दिल में मेरे यार ,अँधेरा सा बना रहता है
-४ कुशूर आप का नहीं जवानी भी क्या करे
जब नजरें ही तीर बन कर विस्मिल कर रही
५- यादो में दिल रोयेगा गर उफ़ निकलने ना दूंगा
गर उफ़ निकल भी गई तो अश्क ढलने ना दूंगा
उमेश कुमार श्रीवास्तव
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें