मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

मां

मातृ दिवस पर इस वसुधा पर की सभी माताओं को मेरी ओर से आदरान्जली :-

अनन्त मंगल घोषकारी    
*माँ* ध्वनि अपरमपार है ,
'ब्रम्ह' भौतिक लोक की ,
हर प्राण की आधार है  ၊

गढ़ती अनेको रूप जिससे
ये चराचर चल रहा
रहते अगढ़ पशु ,माँ पाठ बिन
मानव प्रगति जो कर रहा ၊

माँ आप में हैं देव तीनों
तृदेवियां भी आप में
ब्रम्हाण्ड की हर शक्तियां
माँ शब्द में ही व्याप्त हैं ၊

उमेश कुमार श्रीवास्तव
तितलियों के पर में भरे जो रंग  तूने
पक्षियों के स्वरों में भरी जो गूंज है
नदियों को निनाद रेसमी जो दे रखी है

मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

नित सोता हूं तुझे संग ले
स्वप्न लोक में जज्बातों संग
कल उठूं ना तो