गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

रसिक मन

 

दिगम्बरी गेह ले मुझ पर पसर जाओ तनिक
ये उघाड़ी गेह आतुर, तुझको पुकारे ऐ  सखी ।

नासिका मिल नासिका से, सुरभित करे जिस घड़ी
दृग सरोवर में तनिक, मुझको उतरने दो सखी ।

घिर कुन्तलों के मेघ, विधु, जो तनिक सकुचाये तो
अधरों पे धर अधर , चूषण सुधा करने दो सखी ।

कर मध्य आनन जब भरूं मैं, रुचिकर तेरा 
रक्तिम अपने गंड , अधरों पे आने दो सखी । 

सिहरता सा धौंकता सा वक्ष मेरा जो चाहता
 उरोजद्वय को तनिक उन पर बहक जाने दो सखी ।

कटिबन्ध जब कटिबन्ध से लाड़ करने लगें
हस्तद्धय स्कन्ध पर स्निग्ध आने दो सखी । 

जब तुम्हे अहसास दे प्रवेश तुझमें मैं करूं
अस्तित्व मेरा, भर अंक में, लुप्त होने दो सखी ।

सघनता की उत्तेजना, अवलेह बन ये श्वेद आये
चरण दोनों खोल अब, गेह भर कस लो सखी ।

चरम पर आ स्खलित जब अस्तित्व मैं तुझमें करूं
नव चेतना स्फूर्ति अर्पण,कस बन्ध कर दो ऐ सखी ।

कल्पनाओं में छंद रच रच स्पर्श तेरा कर रहा
यथार्थ में झकझोरने को अब तो आ जाओ सखी ।



उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन भोपाल
दिनांक २९ . १२ . २०२३

मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

मैं वापस आ रहा हूं तुझसे मिलने को
बिछुड़े तंतु तरंगो से फिर जुड़ने को । 
श्वांस श्वांस परिहार लगा जग
किलकारी थी व्यथा जनित
प्राणवायु से रिक्त शिखर सब

मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

इक झटके से उनने दिल को , प्रस्तर संज्ञा दे डाली
मेरे तन का यह अदना टुकड़ा, प्रेमासव से रचा गया था |

उम्र कहती है कहां, अब प्यार को तुम रोक लो
प्यार का तब ही मज़ा ,जब अनुभवी से प्यार हो ।

गुरुवार, 14 दिसंबर 2023

कटु स्मृति

था उत्सव 
शपथ ग्रहण का
सूबे के काबीना का
कर्तव्यबद्ध थे सभी विज्ञजन
जनसमुद्र में जाने को ।

तत्परता  से चले सभी थे
अपने अपने पोतों से
लहरों पर हिचकोले खाते
बचते भवरों के गोतों से ।

बडी भंवर ने ऐसा रोका
सभी धरा पर उतर रहे
दूर थी मंजिल शीघ्र पहुंचना
इतर राह सब निरख रहे ।

दिखा विवर इक खंडित दरवाजा
लालाइत सब बढ़े उधर
सजग था प्रहरी अवरोध लगाये
पर हिकमत से गये उतर ।

किंचित दर्शन लाभ लिया फिर
बैठक को प्रस्थान किया
पहुँच वहां जो पाया हमने
जैसे विप्लवआह्वान किया ।

तनिक ठिठक लहरों को तोला
तृण सा पाया जब खुद को
रणछोड़ ही बनना उचित जान तब
रण से बाहर प्रस्थान किया ।

राह सरल कहां थी वह भी
चहुं दिश अवरोधक अथाह सगर
भीटा एक बना अवलम्ब
कूद चढ़े तब पाई डगर ।

शपथ ग्रहण का यह उत्सव
स्मृतियों में अब अजर अमर
कशम तीसरी खाई मन ने
ना जायेंगे अब ऐसी डगर ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव
१४-१५ दिसम्बर २०२३
राजभवन , भोपाल