शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022

नमामीशमीशान

वन्दन करता हूं तुम्हे, अखिल ब्रम्ह के धीश
मुक्ति शक्ति व वेद तुम, आदि व्याप्त जगदीश ॥
पूजन करूं हे शिव तेरी, है महिमा अनन्त अपार
गुण इच्छा सीमा रहित, हो चैतन्य ओढ़ अकाश ॥

हूं दण्डवत सम्मुख तेरे,अदृष्य ॐ की नाद
सम्मुख तेरे  दंडवत, मन चिन्तन अरु काल  ॥ 
कृपा सिन्धु कैलाशपति अनन्त गुणों के धाम
है अर्पित सब तुझे, वाणी, रूप, अरु काम ॥

धवलगिरि हिम सम बदन, कोटि मदन न्योछार 
शीश शिखर मंजुल सुरसरि, भ्रू,इन्दु करें मनुहार ॥
शिरोधर है नीलवर्ण  लिपटे भुंजग अनुकूल
भजूं  विलक्षण शम्भु तोहें, ना होयें प्रतिकूल ॥

श्रुतिपट सुन्दर कुण्डल, आनन सदा प्रमोद ,
विशाल अक्षिद्धय करुणामयी हे नीलकण्ठ आमोद । 
सामप्रिय भोले मेरे , नरमुण्ड सजे श्रीकण्ठ,
नाथ सभी के शम्भु तुम, भजूं तुम्हे अखण्ड ॥

हे रौद्ररूप हे श्रेष्ठरूप तुम तेजरूप हो अखिलेश्वर ,
अखण्ड अजर अमरत्वरूप त्रिविधि शूल के नाशक I
त्रिशूलधारी हे शिवापति, जहां भाव तहं आप,
ऐसे भोले को भजूं, कटे अनन्त  सन्ताप ॥

सज्जन हिय आनन्द तुम, नमन तुम्हे त्रिपुरारि,
कला के तुम ही आदि हो, हे कला के अन्तिम द्वार ।
कंदर्प दर्प भंजक तुम्ही, तुम्ही कल्प के काल,
हर्षित हो जड़ता हरो , हे कालों के काल ।

सुख शान्ति इह-पर मिले,पद शीश धरे जो नाथ 
बिन भजे अनन्त को, कहां कुधर्म का नाश ।
हर हृदय आगर तुम, भजूं उमा प्रिय उमेश
प्रसन्न हो रक्षा करो , हरो मेरे सब क्लेश |

ना जानूं पूजन  विधि, जप तप की क्या बात,
सदा खडा सम्मुख तेरे, कर जोड़े नत माथ ।
जरा-जन्म दुःख पिंड हूं, करूण खड़ा भगवान,
नतमस्तक हूं प्रसन्न हों,  मेरे कृपानिधान ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन, भोपाल
दिनांक १८ . १० . २२






नमामी शमशान

वन्दन करता हूं तुम्हे, अखिल ब्रम्ह के धीश
मुक्ति शक्ति व वेद तुम, आदि व्याप्त जगदीश ॥
पूजन करूं हे शिव तेरी, है महिमा अनन्त अपार
गुण इच्छा सीमा रहित, हो चैतन्य ओढ़ अकाश ॥

बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

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हो अन्धकार प्रबल जब दीप के ओलाक हो
दुःख गहन होने लगे तो आश की प्रतिमूर्त हो
नैतिक पतन के काल में आदर्श के स्तम्भ हो