रविवार, 29 नवंबर 2020

शेर-वो-शायरी

१-इश्क को हद में बांध कर कोई कहे
डूब जा तू दर्द -ए-गुबार में

२-तूने यूं भिगोया मुझे अपनी इश्क  की बून्दो से ,
इस तरह तर हूं अब सूख जाऊं मुस्किल है।

३-जान के जाने का मंजर क्या होगा
तुझसे दूर होते ही जान लेता हूं।

४-तूने दीदार जो कराया जल्वा-ए-हुश्न ,
हूं अब तलक खोया हुआ तेरी रूह में हूं ।

५-है रुह को बस तेरी ही तमन्ना
तेरे जल्वे को बस देखता ही रहूं
मेरे सामने यूं ही बैठी रहो तुम
जिन्दगी भर यूं तुम्हे बस तकता रहूं

 ६-थी तमन्ना तुम्हारी शायरी में ढलो तुम
अब हर लफ्ज शेर का है तुम्हारे लिये

७-यूं न मचला करो जरा सम्हला करो
ये शुरूआत है इंतहां ये नहीं

८-तेरी आरजुओं से बन्ध गया हूं मैं
अब तमन्ना यही बस रिझाती रहो

उमेश श्रीवास्तव

शुक्रवार, 20 नवंबर 2020

चन्द भाव दिल के

               चन्द भाव दिल के             
                          १
होता तो है दर्द उन्हे भी जो दर्दो में ही पलते है  
 बेदर्द बन किसी को यूँ दर्द दिया ना करो ၊
                           २
सोचा था दूर होकर मैं भी  करूँगा याद
पर क्या करूँ की तुम तो दिल मे बसे हो मेरे ၊
                          ३
मेरे कदम दर कदम इक और भी कदम है 
जो कह रहे कि साथी अकेला नही तू राह में,
राह में तू रोड़े अब लाएगी क्या ऐ किश्मत
 मेरा प्यार चल रहा जब मददगार बन कर ၊
                           ४
मैने हर राह को मखमली सा ही पाया है,                      
तेरी ही चाहतो ने हर खार को हटाया है ၊
                           ५
दिनभर की थकान ले कर पहुचा जो घर पे मैं ,
तेरी इक तब्बस्सुम ने हर दर्द हर लिया ၊
                            ६
चुपके से तुमने भर दी गागर ऐ जिन्दगी
थोड़ा खाली जो रखती गागर,जान तो पाता क्या पाया है ၊.....

रविवार, 8 नवंबर 2020

शनिवार, 7 नवंबर 2020

प्रेम तृषा

 प्रेम तृषा

 

प्रेम तृषा क्यूं व्याकुल करती,

इस पड़ाव पर आ कर भी ၊

जीवन रीता क्यूं लगता है ,
सुख सागर को पा कर भी ၊

जीवन सरिता का पावन जल,
सदा पोषता रहा मुझे ၊
रिक्त व्योम सा अन्तस मेरा,
रहा वही सब पा कर भी ၊

रति प्रतीक्षा रही सदा ,
मलंग,मदन से  जीवन को ၊
पर,हर काया में, प्रेम, रिक्त पा,
खोया सब कुछ पा कर भी ၊

चाह रही, निर्झरणी काया,
अन्तस तक भीग रहूं  ၊
प्रेम सुधा में डुबो दे मुझको,
खो दूं खुद को पा कर भी ၊

अब तक सोच यही थी मेरी
खुद मुझको वह ढूढ ही लेगी,
शीतशुष्क स्वांसो को अब भ्रम
पहचान सकूं ना ! पा कर भी ၊


उमेश: ०७.११.२०
शिवपुरी



शुक्रवार, 6 नवंबर 2020

दीपावली शुभ कामना संदेश

दीप शिखा की, बन रश्मि मनोरम
तम दूर करो हर हर जर जर
हर ताप हरो, सन्ताप हरो
हर प्राण करे हरि हर हरि हर ၊

स्वदीप बनो, विकार गरल बाती तन कर ၊
घृत आत्म तरल, सिंचित  बाती
उजियार करो , जल,जग कण कण को ၊
मार मरा कर ना जी तू , राममयी कर जीवन को ၊

उमेश श्रीवास्तव , नव जीवन विहार कालोनी , विन्ध्य नगर ,सिंगरौली , 07.11.2018 ।


बुधवार, 4 नवंबर 2020

मुक्तक

प्यासा हूं सरि तीर मैं
तकते हुए नीर 
जलता हुआ जिगर
पर, होती नही है पीर ၊ 
. .उमेश

मंगलवार, 3 नवंबर 2020

मन




         (1)

मन में ही तो तपन है
मन में ही है छांव
ढूढ़ सके तो ढूढ़ ले
कहां है उसकी ठांव ၊
         (2)
रमे रहे, मन में रहे 
प्रीत,प्रेम औ रार
प्रीत, प्रेम आनन्द है
रार टूट का द्वार ၊

उमेश कुमार श्रीवास्तव
दिनांक  : ४.११.२०

सोमवार, 2 नवंबर 2020

दीपावली की सभी को शुभकामनाएँ

दीपावली की सभी को शुभकामनाएँ  

नव दीप जलें हर आँगन में
नव जीवन के स्पंदन के

हर मन में उजियारा हो
जग पे छलकता सारा हो
मिट जाए अंधेरा इस जग का
इक ऐसा चमकता तारा हो
हर आश बँधे विश्वास बँधे
इक दूजे के अभिनंदन से

नव दीप जलें हर आँगन में
नव जीवन के स्पंदन के
                 उमेश कुमार श्रीवास्तव