गुरुवार, 22 अगस्त 2019

जीवन आनन्द

जीवन आनन्द


थकते नहीं
रेत पर ये कदम ,
राहें बनाते , ये
मेरे कदम ၊
मिटाती चली
रेत की आंधियां
राह, उनको
जिन पर
सदियां चलीं ၊
है उन्हे ये पता
उन पर चलना नहीं
यायावरी मेरी
सब उन्हे है पता ၊
हूं फिसलता नहीं,
रेत की राह पर
छोड़ते भी नहीं
पग अपने निशां
मै भटकता चलूं
या , राह सीधी चलूं
न मुझे है खबर
न मंजिलों को पता ၊
तप्त रेत है,
अर्क के अर्क सी,
और लगती कभी
बर्फ से भी है शीतल,
वो जानती ,
पग किसके हैं ये
मखमली बन तभी
दुलारे उसे ၊
है पसरा हुआ,
मरु चारों दिशा,
पर अन्तस मेरा,
नखलिस्तान है
हर दिशा में चहकते
खगवृन्द संग हैं
महकते हुए से
उद्यान हैं ၊
चला जा रहा
बस चला जा रहा
समय की नदी संग
बहता हुआ ,
संग आये व जाये
लहरों सा को
ना चाहत है कोई
न उसकी रज़ा ၊
उमेश , इन्दौर , २२.०८.१९

शनिवार, 17 अगस्त 2019

अहसास-ए-दिल

अहसास-ए-दिल


हर क्षण जैसे कोई मेरे
टीस जगाता है, दिल में ,
स्पर्शों की आश लगा ,
कोई बलखाता, है दिल में ၊
दृष्टिपटल से ओझल कोई
ह्रदयपटल पर छाया है ,
हर सांसो में आते जाते
खुद को महकाता, है दिल में၊
उससे बिछुड़ा हूं मैं , या
खुद से, बिछड़ गया हूं मैं ,
यक्ष प्रश्न यह, पीड़ादायक
नित टकराता है दिल में ၊
हर कर्मों में, जीवन के
संग जिसे, महसूस करूं,
उसकी दरकन औ टूटन
दर्द बढ़ाती , है दिल में ၊
हर पल हर क्षण संग जिए जो
जीवन की इक थाती हैं ,
अहसासों का नया बवंडर
उठा जो जाते हैं दिल में ၊
उमेश , १७.०८.१९ , रात्रि ८.४५ , इन्दौर