मंगलवार, 30 जनवरी 2024

तू उदास क्यूं है कचनार
खड़ा अकेला रीता - रीता
अधर हैं प्यासे प्यासी आंखे
हिय व्याकुलता का ज्यूं आगार
तू उदास क्यूं है कचनार । .

गुरुवार, 25 जनवरी 2024

कर्तव्य बोध हो प्रथम चरण 
अधिकार बोध अगले पग पर
राष्ट्र समर्पित जब हर गण हो
गणतन्त्र तभी प्रगति पथ पर ।

उल्लास उमंग क्षणिक जब हो
उत्प्रेरक जीवन कर न सके
नाभि जगे स्वस्फूर्ति मथे


सोमवार, 1 जनवरी 2024

आ रहे राम

आ रहे
हैं राम
संवर जा रे मानव
हुआ नया भिंसार
सम्हल जा हे मानव । 

रामराज्य को ना देखा पर
रामराज्य पर आस टिकी
ठुमक ठुमक कर आते राम
अधरों पर मुस्कान टिकी ।

आओ सब मिल स्वागत कर लें
नव प्रभात की बेला में
रामराज्य है मधुरिम आभा
हर सपनों के रेला मे ।

मांज मांज कर हर मन तन को
पशु से मानव कर ले तू
नव युग के इस सन्धिकाल में
संग राम के हो ले तू ।

नव वर्ष नहि नव विहान है
चेतनता का आलिंगन कर
अगवानी कर रामराज्य की
मुस्कानों से जीवन भर ।

उमेश कुमार श्रीवास्तव
राजभवन भोपाल
दिनांक ०१ . ०१ . २०२४