शनिवार, 5 जून 2021

अमदन = जानबूझ कर
रिंद = मनमौजी स्वच्छन्द धार्मिक बन्धन न मानने वाला
जब्र- जबरजस्ती बलपूर्वक जुल्म अत्याचार
दस्तूर - प्रथा, नियम

शुक्रवार, 4 जून 2021

अजश्र श्रोत मैं मीठे जल का,
शीतलता का, मुझमें है वास
अर्क भूत झोलकिया भी मुझमें
माखन सा, है स्निग्ध   गात ၊






हे पलास


हे पलास


हे पलास
तुम अद्भुत हो
सुन्दर
मोहक
चित्ताकर्षक
तप-भंगी
मोहिनी
उर्वशी हो
मादक - मदन
भूल मादकता
रीझ रीझ 
त्यागे चंचलता
ऐसी सूरत
के धनी हो
रति के अंगों सी कोमलता
भाव-भंगिमा की चंचलता
पाषाण ह्रदय स्पन्दित हो जाये
रसराज रसों के
आगार धनी हो
हे पलास
तुम अद्भुत हो ၊

उमेश कुमार श्रीवास्तव
शिवपुरी , दिनांक ४.६.२१


बुधवार, 2 जून 2021

शाश्वत सत्य

शाश्वत सत्य

बिदा होना है जब जिसको बिदा वो हो ही जायेगा,
पकड़ता क्यूं है, यूं बाहें, नही तू रोक पायेगा ၊

मुसाफिर था मुसाफिर है, चलना ही वो बस जाने ,
उसे तू रोकता क्यूं है, पलट वो फिर न आयेगा ၊

अरे तू रो रहा क्यूं है , उसे क्या जानता था तू !
जो माटी मानता अपनी , उसे वो छोड़ जायेगा ၊

अंधेरे से वो आया था  वहीं वह लुप्त हुआ अब है
उजाले में खड़ा तू है, तू कैसे देख पायेगा ၊

यहां सब यायावर, न कोई संगी साथी है ,
तू अपना ध्येय नियत कर ले, धरा से तू भी जायेगा ၊

उमेश कुमार श्रीवास्तव
शिवपुरी, दिनांक ०३.०६.२०२१