मंगलवार, 12 जनवरी 2016

चन्द शेर

चन्द शेर


अधरो से छिपाया दर्द तो नयनों ने कह दिया 
पलके जो बन्द की मैनें चेहरे ने बयां किया ।
** उमेश **

अय चांद इक बार जरा धरती पर आ जा
खुद ब खुद औकात तेरी तुझको पता चल जायेगी I
**उमेश **

अय चांद ना मुस्करा जलन पे मेरे
तू भी कभी जला होगा दाग कहते हैं तेरे

अय चांद तेरे दाग से क्या वास्ता 
तपते हुए तन को चांदनी काफी है ।
**उमेश**


अय चाँद तुझे देख हसरत जगी छूने की 
पर फिर अहसास जगा कि तू कहां औ मैं क्रहां
**उमेश **

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