शनिवार, 17 अगस्त 2019

अहसास-ए-दिल

अहसास-ए-दिल


हर क्षण जैसे कोई मेरे
टीस जगाता है, दिल में ,
स्पर्शों की आश लगा ,
कोई बलखाता, है दिल में ၊
दृष्टिपटल से ओझल कोई
ह्रदयपटल पर छाया है ,
हर सांसो में आते जाते
खुद को महकाता, है दिल में၊
उससे बिछुड़ा हूं मैं , या
खुद से, बिछड़ गया हूं मैं ,
यक्ष प्रश्न यह, पीड़ादायक
नित टकराता है दिल में ၊
हर कर्मों में, जीवन के
संग जिसे, महसूस करूं,
उसकी दरकन औ टूटन
दर्द बढ़ाती , है दिल में ၊
हर पल हर क्षण संग जिए जो
जीवन की इक थाती हैं ,
अहसासों का नया बवंडर
उठा जो जाते हैं दिल में ၊
उमेश , १७.०८.१९ , रात्रि ८.४५ , इन्दौर

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