सोमवार, 17 मई 2021

रुबाई

चश्मो में चमकी तब्बस्सुम जो देखी 
मेरी जिंदगी मुस्कुराने लगी
रुखसार पे तेरी हया जो  देखी 
ये  जिंदगी  गुनगुनाने  लगी
लबो की तेरी गुलाबी ओ रंगत  
मुझमें फिर जुनू है जगाने लगी
क्या कहूँ क्या कहूँ क्या कहूँ ऐ जानम 
ख्वाबो में भी तू जो जगाने लगी
                                                                    उमेश श्रीवास्तव

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