शुक्रवार, 4 जून 2021

हे पलास


हे पलास


हे पलास
तुम अद्भुत हो
सुन्दर
मोहक
चित्ताकर्षक
तप-भंगी
मोहिनी
उर्वशी हो
मादक - मदन
भूल मादकता
रीझ रीझ 
त्यागे चंचलता
ऐसी सूरत
के धनी हो
रति के अंगों सी कोमलता
भाव-भंगिमा की चंचलता
पाषाण ह्रदय स्पन्दित हो जाये
रसराज रसों के
आगार धनी हो
हे पलास
तुम अद्भुत हो ၊

उमेश कुमार श्रीवास्तव
शिवपुरी , दिनांक ४.६.२१


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