रविवार, 24 अप्रैल 2016

सुजाता बिटिया के परिणय दिवस २०.०४.२०१६ पर सप्रेम भेंट

सुजाता बिटिया के परिणय दिवस २०.०४.२०१६ पर सप्रेम भेंट
( पिता चंद्र देव शर्मा के उद्गार )
1
वो प्यारी बिटिया रानी
ना भर यूं आखों में पानी
वो प्यारी बिटिया रानी
ये दिन खुशियाँ ले कर आया , प्रमुदित मन है प्रमुदित काया
हर दिशा अरुणमयी जब है,फिर आँखो में अश्रु ,है क्यूँ आया ?

मां की ममता का ओर आज,मेरे दुलार का छोर आज
ऐसे में ना छेड़ गमगीन राग,बजनें दे खुशियों के सभी साजl

भाई के चेहरे का देख तेज,उसकी चालों का मधुर वेग
मतवाला कैसे झूम रहा,बहना का माथा चूम रहा
ज्यूं कहना वह यह चाह रहा,हो खुशियों भरा संसार तेरा l

वर रूप धरे हैं अरूण खड़े ,तू आज बन रही वामा उनकी
है पथिक जोहता बाट तेरी,संग कदम बढ़ाना है जिनकी l

पर संम्बन्ध नहीं बस तेरा उनका,दो वंशों को तू है जोड़ रही 
हर दिल में खुशियां पहुंचे तुझसे,ममता मां की है बोल रही l

जितना हम तुझको दे हैं सके,उससे भी ज़्यादा प्यार मिले
पर मिले बड़ों को सम्मान तुझसे,छोटो को स्नेह दुलार मिले l

संस्कार तुझे जो मिले यहाँ,उनको अब दुगनित तुम कर लो
सुरभित उनकी मकरन्दो से,अपना घर आँगन महका तुम दो l

हमसे ही मातु पिता हैं वहाँ,संग भाई बहन की जोड़ी भी
सब को सम्मान मिले तुमसे,रह जाए कमी ना थोड़ी भी l

संसार सगर में उतर रहे,तुम युगल हंस को आशीष मेरा
ऐसे बनो वर-वामा तुम,साकार बने हर स्वप्न मेरा l


उमेश कुमार श्रीवास्तव (०७.०४.२०१६)

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