मंगलवार, 16 जुलाई 2019

कविता क्या है

कविता क्या है ?


कविता क्या है ?
माध्यम
दिल की
अभिव्यक्ति का
बुद्धि जहां काम करना
बन्द कर दे ,
विवेक के निर्देश
कुंद हो ,मौन हों
और फिर
दिल स्वमं
शब्दो को ,
दुःख ,दर्द की
सुख,आनन्द की
प्रेम और घृणा की
हास ,परिहास की
ज्ञात ,अज्ञात की
इस पार और उस पार की
जीवन और मृत्यु की
व्यंग संग विस्मय की
अलग अलग या संयुक्त
चासनियों में
डुबो डुबो
उकेरता है
समय के कैनवास पर
वो है
कविता ।
यही कारण है
कविता लिखी नहीं जा सकती
पढी और समझी भी नहीं जा सकती
दिल की गहराईयों में उतर
उस रस में सरोबर
हुए बिना
बुद्धि से पढ़ तो सकते है उसे
पर कविता पढ़
समझने की वस्तु नहीं
जीने की एक
पद्वति है
कविता पढ़ने को
पारांगत होना होगा
रसों की
बावली में
इक छपाका लगा
सरोबर होना होगा।
भद्र बन यदि डरते रहे
भीग जाने को
तो कविता शब्दों का
इक समूह होगा
जो असमतल पठार
और वनप्रान्तर सा
वीरान होगा ।
इसलिए
कविता पढ़ना नहीं
जीना सीखें
कवि के ह्रदय रस
को पीना सीखें
तब सार्थक है कविता
अन्यथा
व्यर्थ है
कविता ।
उमेश कुमार श्रीवास्तव,जबलपुर,दिनांक १७.०७.१७

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