सोमवार, 4 मई 2020

मैं जानता था जिसे
क्या ये मेरा
चेतना का शहर है
चहकता अहिर्निस
गाता बजाता गुनगुनाता
जो रहता
रातों में भी जिसे
सोना न आता
र्‍दर्द चाहे हो जैसा
रोना न आता

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