शुक्रवार, 11 दिसंबर 2020

एक शेर के जवाब में दो शेर

मुसाफ़िर शायरी में ये शेर पढ़ा किसका है न मालूम

हमे अपना इश्क तो एकतरफा और अधूरा ही पसन्द है..
पूरा होने पर तो आसमान का चाँद भी घटने लगता है...

जबाब देने को  कीड़ा कुल बुलाया, नज़र है तो जवाब दो शेरों से दिया

१.  चांद आसमां में , न घटता बढ़ता
     बस देखनें का अंदाज बदल देती है तू ၊
     इश्क इक तरफा ..? है फितूर
     पूछ देखो,पथ्थर में आग लगा देती है तू ၊

क्योंकि : - 

२. कदर - ए- इश्क आती कहां है हुश्न को 
     खुद़ पर गुरुर करता रहा है आज तक ၊
     इश्क पूरा कहां है हुश्न बिन
     सबब सदियों से रहा इक तरफा - ए- इश्क
.
प्रयास सही था या नहीं ..? कदरदानों से दाद का इंतजार होगा ।

उमेश श्रीवास्तव

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