सोमवार, 21 दिसंबर 2020

पूरी कायनात है मेरा आशियां

गुलजार साहब की  रचना का जवाब देने का प्रयास किया है ,
 यदि पसन्द आये तो दो शब्द अवश्य चाहूंगा : -

पूरी कायनात है मेरा आशियां
घर में गुमसुम यूं बैठूं , जरूरत क्या है

लाख कातिल हों जमाने में यारों
दूर यारों से रहूं !
ऐ जिन्दगी तेरी जरूरत क्या है 

सच कहा , है, बाहर की हवा कातिल
बैठूं घर में !
ऐ मेरे रहनुमा, फिर तेरी जरूरत क्या है

नेमत है जिन्दगी, ये जानता मैं भी
घर बैठ बेज़ार करूं !
फिर इसकी जरूरत क्या है 

दिल बहलाने के लिये न जियो घर में
गलियां सूनी रहें ?
ऐ जिन्दगी , फिर तेरी जरूरत क्या है ?

उमेश श्रीवास्तव
केराकत, जौनपुर प्रवास
दिनांक २१.१२.२०२०

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