सोमवार, 18 जनवरी 2021

अभिलाषा

अभिलाषा 

अय सूरज
तू तपता क्यूं है ?
यूं शोलों में
जलता क्यूं है ?
आ अंको में
तुझको भर लूं
शीतल वाश
तन हिय मैं कर दूं

रहे अगन न 
बाकी कण भी
सब शोषित
स्व तन मैं कर लूं
कान्ति तेरी,
तुझको ही अर्पित
शीतल कनक बना
तुझको मैं
तुझको, तुझको 
अर्पित कर दूं

मैं अविरल हूं 
जल की धारा
तू जग का है 
पालन हारा
तेरे श्रम का मोल नही तो
क्यूं ना अनमोल 
मै आगत कर लूं

उमेश श्रीवास्तव १९.०१.२०१७

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