बुधवार, 20 अगस्त 2025

मदमस्त सूरत

नूर चमकती आंखो की , 
रूख्सारों की दमकती ये  लाली
गेसू में झलकती, जो सांझ की मस्ती, 
लब पे जो धरी मदिरा प्याली
इनकी उमर न हो कोई, 
अजर रखे रब की प्याली
यूं ही खुशियां बरसाओ तुम
बरसे इनसे रुत मतवाली

किसी मुखड़े के नूर पर , 
यूं फ़िदा हुआ जाता नहीं।
गर फिदा हो जाये तो , फिर, 
ज़ुदा हुआ जाता नहीं ।


उमेश कुमार श्रीवास्तव
२० अगस्त २०१६

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