नूर चमकती आंखो की ,
रूख्सारों की दमकती ये लाली
गेसू में झलकती, जो सांझ की मस्ती,
लब पे जो धरी मदिरा प्याली
इनकी उमर न हो कोई,
अजर रखे रब की प्याली
यूं ही खुशियां बरसाओ तुम
बरसे इनसे रुत मतवाली
किसी मुखड़े के नूर पर ,
यूं फ़िदा हुआ जाता नहीं।
गर फिदा हो जाये तो , फिर,
ज़ुदा हुआ जाता नहीं ।
उमेश कुमार श्रीवास्तव
२० अगस्त २०१६
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