बुधवार, 31 दिसंबर 2025

नव वर्ष पर

जो जाने को आतुर बैठा
उसे रोक सका क्या कोई 
मोक्ष मिले यूं ऐसा जिसको
उसे टोक सके क्यूं कोई ।

बिदा करो सब प्रफुलित मन से
फल जो चाहे दिये हो वो
कर्म नदी की राह रहा वह

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