शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019

सही तू या गलत मैं

 सही तू या गलत मैं

मै जानना हूं चाहता
क्या  तब तुम गलत थी,
और अब सही हो ?
मैं यह भी चाहता हूं जानना ,
क्या  तब मैं सही था,
अब हूं गलत ?
मैं चाहता हूं जानना ,
जब मैं गलत था ,
तो तुम कैसे सही थी
और जब तुम सही थी
तो मैं कैसे गलत था ,
क्यों कि दोनों ही जी रहे थे,
इक ही जिन्दगी ၊
मैं चाहता हूं जानना
धड़कनों के संगीत को,
सरगमी, लगते जो थे, तब ,
कब, क्यूं कर बेसुरे लगने लगे ?
जबकि जानता हूं , सरिता
सरस बहती है ,अब भी
हदय आगार में ,
अब  भी
जोहती , बाट
युगल के,
सजी महफिल की ၊
मै चाहता हूं जानना
पीड़ा तेरे ह्रदय की,
क्या वही है ?
जो मैं भोगता हूं,
महसूसता हूं ,
अपने ह्रदय में,
या कि
वह भी, बदल ली है रूप,
तेरे-मेरे ह्रदय में,
तेरे ,मेरे जैसे ၊
मै जानना हूं चाहता
क्या वही राधा है तू ?
मैं वो ही किशन हूं ?
जो कभी इक प्राण थे
दो देह में ,
जिनकी आंखो ,कानों के
प्रकाश ,ध्वनि
रूप , स्वर थे
इक दूजे के
प्रात से रात्रि तक !
सोचता थकता नही
पर जान भी पाता नही
कि , क्या सही क्या गलत
कौन तू , हूं कौन मैं
लगता , तू तब भी सही थी
मैं गलत
या शायद
मै ही सही था
हूं सही मै अब भी ၊
लगता, हम जीते इसी
अहसास में,
कि मैं सही
तू गलत
या तू सही ,रही
सदा ,
मैं गलत
उमेश, इन्दौर , २०.०८.२०१९


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