रविवार, 21 अप्रैल 2019

गजल दिल के जज्बों पे

दिल के जज्बों पे ,
इक सुहानी धूप तू
नयनों की नज़रों में
दिलकश इक रूप तू

तू जाने ना ,
दिल चाहे क्या,
ख्यालो में खोया खोया
दिल का हर लम्हा है

तू जब आती है,
खूं में रम जाती है
मेरे हर पल को तू
रंगत दे जाती है

दिल के जज्बों पे ,
इक सुहानी धूप तू
नयनों की नज़रों में
दिलकश इक रूप तू

दुनिया जो मेरी है
प्यास घनेरी है
मेरी इस अभिलाषा को
बरखा दे जाती तू

दिल के जज्बों पे ,
इक सुहानी धूप तू
नयनों की नज़रों में
दिलकश इक रूप तू

दिल की गलियों में आ
तुम जो छाई हो
तुम बिन जीना अब ना
कशक वो जगाई हो

दिल के जज्बातों से
ना करना यूं खेल तू
जीवन की खुशियां तुझसे
है सांसों की डोर तू

दिल के जज्बों पे ,
इक सुहानी धूप तू
नयनों की नज़रों में
दिलकश इक रूप तू

उमेश  १६.०४.१७ जबलपुर

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