मंगलवार, 9 अप्रैल 2019

चाहत मेरी

चाहत मेरी

मैं चाहता हूं प्यार से तुमको पुकार लूं
निहार छवि तेरी तुझे दिल में उतार लूं ၊

गंध कस्तूरी तेरी , अंग हो मेरा
पंचांबु से प्राणों में तुझको यूं उतार लूं ၊

चतुरांग से, जो सोम रस , तुझ से रिस रहा
व्याकुल ह्रदय से ,बन रसी अन्तस उतार लूं ၊

तू, तू ना रहे, मैं भी, व्योम हो रहूं
यूं क्षितिज सा गात क्यूं ना मैं संवार लूं ၊

गीत हो संगीत हो या ताल लय की घात
सब विधा में लख तुझे जीवन निखार लूं ၊

उमेश , सिंगरौली , ७.४ .१९

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