सोमवार, 29 अगस्त 2016

इन्सान तू

इन्सान तू

तू बुत नही बेजान है ,
तू ईश का इन्सान है
ठान बस तू ले अभी ,
रुक पायेगा कभी
मंजिलें चल आयेगी,
दूर जा पायेंगी
आन पर तू ले जरा,
प्यास जो तू भर जरा
ध्येय पर तू घ्यान दे,
इक कदम तो धर जरा
सुमन से अट जायेंगी ,
धरा तेरी राह की
बस जान ले तू कौन है,
क्या कर नहीं सकता है तू
मौत के आगे भी गर्जन
क्या नहीं करता है तू !
उठ जरा तू उठ जरा
प्रमाद का प्रतिरोध कर
लक्ष्य सम्मुख है तेरे
इन्सान बन संधान कर

उमेश कुमार श्रीवास्तव
जबलपुर, २९.०८.१६

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