मंगलवार, 23 अगस्त 2016

गीत : बहुत तड़पाते हो,

गीत

बहुत तड़पाते हो, जब याद तुम आते हो
ये तो अच्छा है कि हम भूलते ही नही
वर्ना सांसो को भी, तुम तो चुरा ले जाते हो
बहुत तड़पाते हो, जब याद तुम आते हो

शर्द रातों में भी ये बदन जलता है
दिल के नशेमन से भी धुआँ निकलता है
तुम तो इतराते हो,होश उड़ाते हो
अश्क बन आँखो से छोड़ जाते हो
बहुत तड़पाते हो, जब याद तुम आते हो

कुछ नज़र आता नहीं अब जमाने में
जब से आँखो में तुम्हे बसाए हैं
बिस्तर की सलवटें बयाँ करती हैं
नीदों में किस तरह सताते हो
बहुत तड़पाते हो, जब याद तुम आते हो

अब तो ज़िदा हूँ ये ही काफ़ी है
लाश बन इंतजार करता तो हूँ
तेरी मगरूरियत पे भी फिदा हूँ मैं तो
इश्क का इम्तहान जो कराते हो
बहुत तड़पाते हो, जब याद तुम आते हो

उमेश कुमार श्रीवास्तव , जबलपूर २३.०८.२०१६

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