रविवार, 26 जुलाई 2020

तीन शेर




हमें तो शौक़ था इंतजारी का
पर इतना भी नहीं जितना तूने करा दिया
दिख भी जाओ, मेरे चाँद दूज के
नहीं तो कहोगे, तुमने ही दिया बुझा दिया...........उमेश......


अख्स-ए-बदन में रखा क्या है , रूह-ये-बदन दिल में लाया करो
लब-ओ-रूखसार पे भरो हया के रंग,बंद आँखो में चमन बसाया करो...उमेश...

फासला होता है कहाँ वक्त इक दरिया है
जिसमें डूबे हुए हम इंतजार करते हैं....उमेश...

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