शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

चन्द अहसास








                चन्द अहसास


सुकून की तलास में फिरता रहा दरबदर
तू जो मिली जाना सुकूं क्या है।၊ १ ၊၊


ज़लज़ला हैं यादें वजूद तक हिला देती है ये, 
सफ़र है जिंदगी का जब तक आती ही रहेंगी ये ၊၊२၊၊


चंचल शोख निगाहों से ना तीर चलाओ ये जालिम
दिल के टुकड़ों पर पग रख यूँ, ना मुस्काओ ये जालिम၊၊ ३ ၊၊

जेठ की धूप भी जब चाँदनी लगने लगे, 
समझ लो यारों यह इश्क का बुखार है ၊၊४၊၊


लगता है गुम्गस्ता है मेरा कुछ न कुछ
पा तुझे पास भूल जाता हूँ पूछना ၊၊५၊၊

........... उमेश कुमार श्रीवास्तव





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