चन्द शेर
1..तुम तो शोख़ नज़रों से बिखेर गई तब्बस्सुम
ये ना पूछा, मेरे दिल की हालत क्या है
2..लोग पी जाते हैं प्याले पे प्याला नशे के लिए
तेरी इक नज़र से मदहोस हुआ जाता मैं
3..शर्मो हया से नहाया तेरा मरमर का बदन
देख ताज भी शरमाने लगा
4..उफ़! हर अदा मय से तेरी डूबी हुई
डर है कहीं मयकश ना बन जाउँ मैं
5..सुबह शिकवा थी उनको शाम हमसे शिकायत
ना जाने अब क्या चाहती है जालिम
6..कहने को हमसे खफा है जालिम
पर नज़रों से तब्बस्सुम बिखेरे जाती है
..उमेश
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