सोमवार, 24 अगस्त 2020

मुक्तक

मुक्तक

दर्द के अहसास यूँ ना दिलाया करो  
चाँद बन मेरे छत पे यूँ ना आया करो
देगी बदल रंग शबनम, जिगर- ए- लहू लेकर
ख्वाबों मे आ तुम यूँ झिलमिलाया ना करो

 ... उमेश

सब्र करता रहा सब्र जाता रहा 
इक वजह तो रहे इंतजार की ।
वो परदा भी क्या कफन जो बने
विस्मिल दिले बेकरार की  ।.....उमेश

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