मंगलवार, 22 सितंबर 2020

मेरे विचार

                         मेरे विचार

   जीवन के सभी मंत्र अध्यात्म हैं जो प्राणी मात्र के जीवन को सरल सरिता सा निर्वाध बहते हुए सागर में समाहित होने की राह दिखाये, शेष सभी नश्वर भौतिक मोह माया ၊अध्यात्म कोई गूढ़ या अज्ञेय विधा नहीं है वरन सब से सरल , जन्म से ही जीव के साथ जुड़ी विधा है जिसे मानव अपनी बढ़ती आयु के साथ भौतिक जगत की ओर आकर्षित होते हुए छोड़ता जाता है और जीवन को स्वयं गूढ़ बना अध्यात्म को अबूझ व गूढ़ समझने लगता है ၊ अन्यथा शैशव व बाल पन के जीवन के व्यवहार की ओर दृष्टिपात कर देखें वह सरल है या गूढ़ ?वही अध्यात्मिक जीवन है ၊ इस भाव को अध्यात्मिक भाषा में  तटस्थ प्रेक्षक भाव कहते हैं , जिसमें न कोई अपना होता है न पराया यहां मैं या मेरा भी नहीं होता ၊यही भाव मानव को शान्त, निर्मल व आनन्द मय बनाता है ၊
उमेश कुमार श्रीवास्तव
इन्दौर २२.०९.२०

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