शनिवार, 12 मार्च 2016

शाश्वत परिदृश्य (ग़ज़ल)

शाश्वत परिदृश्य
(ग़ज़ल)

सियासत के रंग ये ज़रा देखिए
मुखौटे से मुखौटे का ये मिलन देखिए

कातिल ही देखो रहनुमा बन रहे
ये जमाने का उलटा चलन देखिए

कितनी तड़प है उनके जिगर में
मौत बाँट उन्ही का रुदन देखिए

चुस रहे जिस्म देखो मेहनतकसों के
पी रहे लहू जो वो हम वतन देखिए

यै रब आज कैसा मंज़र हो रहा ये
ये माँ के वसन का हरण देखिए

मोहमाया से लिपटे सभी रहनुमा ये
महाभारत का करते जतन देखिए

उमेश कुमार श्रीवास्तव (२८.०६.१९९१)

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