रविवार, 28 मार्च 2021

बसन्त का छोर

बसन्त का छोर

नव पल्लव ज्यूं शोभित हैं
हर तरु की हर डाली पर
शुष्क धरा पर,शिशु टेसू
बिछा रहे ज्यूं मतवाली फर

नव मुकुन्द ज्यूं पुष्पित है
भ्रमर डोलते ज्यूं उन पर
शुष्क तृणों से भरी डगर पर
मृग डोले ज्यूं इधर उधर

आम्र तरु पर लटक रहे ज्यूं
कैरी गुच्छे गदराये से
महुए के फूलों से ज्यूं उठती
महक नशीली मतवाली सी

प्रात वायु की शीतलता में
ज्यूं प्रखर हो रहा अनल इधर
अरूण रक्तिमा में ही झलके
ज्यूं अंशुमालि का तेज प्रखर

जल धाराओं के चहुंदिश गुंजित 
ज्यूं पशु, पक्षी ,कीटों के शोर
हरित चुनरिया विहीन खेत
ज्यूं दिखा रहे बस इसी ओर

कूंच कर रहा ऋतुराज बसन्त
आता ग्रीष्म ऋतु का अब जोर

उमेशकुमारश्रीवास्तव ,जबलपुर , दिनांक २९.०३.१७

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