गुरुवार, 25 मार्च 2021

क्या है प्यार

किसी ने जब पूछा, क्या है प्यार ?
चिन्तन तनिक ठिठक गया
चंचल मन तनिक भ्रमित भया
पर प्रज्ञा तनिक सजग हुई
विद्या को उसने दिया यूं जबाब

स्पन्दित दिल की लहर है प्यार
शुद्ध लहू की धार है प्यार
रोशन जग को करती आंखे
उन आंखों की ज्योति है प्यार
बन्द कली प्रमुदित हो चहके
नर्म,गर्म वो दुलार है प्यार

अंग अंग उन्मादित कर दे
चेहरे पर आतुरता भर दे
अबूझ प्यास सा जीवन कर दे
चिन्तन को भी मोहित कर दे
जीवन की हर दशा दिशा  को
एक राग से गुंजित कर दे
परमात्म जगत से प्रतिध्वनित हुई
दो आत्म जगत का राग है प्यार

उमेश कुमार श्रीवास्तव , 23.03.17 जबलपुर

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