शनिवार, 4 जनवरी 2014

अभिसारिका

अभिसारिका 

हर श्रृगार अलग कर दूँ 
स्व मकरंद चहुँ दिशभर दूँ 
आतुरता से पी बाट तकूं 
हिय प्रेम सुधा हुलसाय रखूं 
जाने कब आय न जाएँ सखी 
अलको को नयनो से हटाय रखूं
यह वेध रही अगन हिय को 
अब सेज प्रसून सजाय रखूं.
                   
                              ...........उमेश कुमार श्रीवास्तव

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