बुधवार, 8 जनवरी 2014

जीवन क्या है ?

जीवन क्या है  ?

जीवन क्या है  ?
इक निर्वात 
अदृश्य ऊर्जा का इक स्रोत 
अकूत ज्ञान , शक्ति  समुच्य 
कर्म बंधन से हो साक्षात !
इन्द्रिय जगत में आता साघात 
पाता भोग हेतु चिंतन 
इक अबूझ अगम्य मन 
इक पिंजर संग 
जिसमें भोगे भौतिक भोग 
संचित करने कर्मो को 
आने जाने के पथ रूप 
क्यो कि व्यर्थ कहाँ ऊर्जा है 
वह परिवर्तित करती बस रूप। 

जीवन क्या है ?
कर्मो का पथ 
युगो युगो से जन्मो से 
संचित हुए कर्मो का 
अच्छे बुरे द्वै कर्मो का 
प्रारब्ध बने हुए कर्मो का 
राई , पर्वत से कर्मो का 
ज्ञात, अज्ञात हुए कर्मो का 
जिस पथ  चल मंजिल पाना है 
जिसे भोगे  बिना , बस  चलना है 
इसमें अवरोध नहीं आना है 
कर्म बंध  के कटने तक 
हाड मांस के पिंजर  संग 
बस इस पथ पर आना जाना है। 

जीवन क्या है ?
इक अनुशासन !
आत्म शक्ति औ इन्द्रिय जगत में 
बाह्य जगत औ अंतस मन में 
वसुंधरा के हर प्राण जगत से 
अपने चेतन , अवचेतन में 
हर प्राणी के कर्मो के पथ से 
अपने कर्मो के पथ चिंतन में 
इस पार जगत के चिंतन से 
उस पार अगम्य गम्य के चिंतन में। 

जीवन क्या है ?
संग्राम भूमि है !
माया के जंजाल चक्र से 
काम क्रोध मद लोभ वक्र से 
कीचक सदृश्य मोह जगत से 
लतपथ इक संग्राम भूमि है 
कर्म पथिक को जिस पर चल कर 
उस द्वारे तक जाना है 
जिस द्वारे, तक रहा ब्रम्ह है 
चिर शान्ति जहां पर पाना है। 

                     उमेश कुमार श्रीवास्तव  (०८. ०१. २०१४ )



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