रविवार, 5 जनवरी 2014

ग़ज़ल

ग़ज़ल


आने दो आती है नींद सो लूँगा
तुम्हारी यादो में चुपके से खो लूँगा

बहने दो सबा को सर्द झोके ले
तेरी बाहो में लिपट गर्म हो लूँगा

स्याह राते होगी स्याह औरो के लिए
चाँदनी से मैं तेरी , रात सजो लूँगा 

तू महफूज रहे मेरे गुनाहो से
जख्म-ए-गुनाह का ऐलान-ए-हदूद कर दूँगा

जज़्बा-ए-इश्क मेरी यूँ ही परवान चढ़े
अपनी सांसो पे तेरा नाम धर दूँगा

आने दो आती है नींद सो लूँगा
तुम्हारी यादो में चुपके से खो लूँगा

                         उमेश कुमार श्रीवास्तव

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