गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

चिंता के नीड




जब मस्तिष्क की शिराओं में
ईर्ष्या द्वेष, लोभ, मोह का लहू
दौड़ने लगे
सूखती कोशिकाओं को घेरे
मुस्कुराती चमड़ियों पर
आडी तिरछी रेखाएँ नृत्य करती
नज़र आएँ
तब समझ लें आप
मानव नहीं, बल्कि
नीड हैं
चिंता के

  उमेश कुमार श्रीवास्तव

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