शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

पाती




    पाती

                              १



कुछ रंग लिए कुछ भंग लिए
हिय की हुलसित तरंग लिए
प्रति-आस लिए विश्वास लिए
टीश भरी हर श्वास लिए

कुछ आन लिए कुछ शान लिए
बीते पल की पहचान लिए
इक रीत लिए कुछ प्रीत लिए
प्रेम सुधा सौगात लिए

कुछ नीर लिए कुछ पीर लिए
दिल की उजडी जागीर लिए
रार लिए तकरार लिए
नयनो में छलकता प्यार लिए

चाह लिए कुछ आह लिए
कुछ आश लिए कुछ प्यास लिए
अहसास लिए मधुमास लिए
प्रिय पाती मिली पिय प्यास लिए


    उमेश कुमार श्रीवास्तव ३०.०५.१९९५


                      २






अय पाती जा , जा कर कहना
मेरी उर्वी से हाल मेरा
कहना कि विकल है प्यार मेरा
बिन उनके सूना घर द्वार मेरा

हिय स्पन्दन तू लेती जाना
होना स्पन्दित सम्मुख उनके
औ कहना स्पंदनहीन बना-
जाता मैं बिन उर्वी के

नम हो जा, ले नीर मेरे
जा, सिहलन थोड़ी दे देना
कहना की नयना बे-नीर हुए
तकते तकते पथ उनके

यदि मिलन हो उनसे प्रातः तो
कहना की अंधेरी रात यहाँ
एकाकी पन की अंधियारी
करती उनके बिन घात यहाँ

यदि मध्यान्ह मध्य हो मिलन तेरा
तो कहना दिल की तपन मेरी
तू गंध मेरे जलते दिल की
थोड़ी सी उनको पहुँचा देना

यदि रात्रि मध्य पहुँचो तुम तो
अय पाती उनको बतला देना
बिस्तर पर करवट बदल बदल
कैसे तड़पू मैं, जतला देना

अय पाती, शीघ्र फिर आना तू
पा सानिध्य नहीं रुक जाना तू
मैं बैठा राह निहार रहा
यह जा कर भूल ना जाना तू

आते आते थोड़ी खुशबू
उनकी तू लेती आना
अधरों की नरमी, नयनो की अमी
चुपके से चुराती ले आना

सब हाल सुनाना आ कर के
कैसे कटती उनकी रातें
दिन रात गुज़रते हैं कैसे
कैसे करती मेरी बातें

है अंगड़ाई का मौसम कैसा
मुस्कानें अधर पर कैसी हैं
वह चन्चलता की प्रतिमूरत
मेरी उर्वी अब कैसी है

प्यासा जैसे मैं यहाँ पड़ा
वैसी ही प्यासी क्या उर्वी है
मैं तो अंशू हूँ तपता हूँ
क्या मेरी उर्वी भी तपती है

अय पाती मेरी ,प्यारी पाती
सच, करना ना देर तनिक वहाँ
मेरी प्यारी उर्वी की खबर
ले कर आना तू शीघ्र यहाँ

  उमेश ३१.०५.१९९५

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