बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

ग़ज़ल

ग़ज़ल

इस कदर दिल पे छाई हो तुम
जिंदगी बन हर तरफ गुनगुनाई हो तुम

खुशबू से तेरी महकी बज्म मेरी
सहारा को गुलशन बनाई हो तुम

ख्वाब था, ख्वाब हूँ,ख्वाब अब ना रहूँगा
हक़ीकत का वो मंज़र लाई हो तुम

है हक़ीकत यही अहले दिल कह रहा
मेरी हर साँस में समाई हो तुम

ये ना समझो की तारीफ़ हूँ कर रहा
बन के तकदीर मेरी झिलमिलाई हो तुम

इस कदर दिल पे छाई हो तुम
जिंदगी बन हर तरफ गुनगुनाई हो तुम

                                        उमेश कुमार श्रीवास्तव


www.hamarivani.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें