मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

चंद मुक्तक

   
चंद मुक्तक

        १

आँखो में मुस्कान लिए हो
ओठों पर मधुमास
ज़ुल्फो में सावन की घटा ले
हो , जाती किसके पास



        २


किन सोचों में गुमसुम हो तुम
किन ख्यालो में हो डूबी
ये बीते पल की यादें देखो
कहाँ कहाँ ले कर डूबी



         ३


सिमटी सिमटी वहाँ खड़ी क्यूँ
अपने में ही सकुचाती
किस परदेसी की बात जोहती
ले व्यथा विरह की हहराती


          ४


घूर रही क्यूँ तिरछी चितवन
क्या कोई तकरार है
पर ओठों पर शोख हँसी है
लगता आया प्यार है


          ५


खोजती है नज़र उन्ही उनको ऐ सनम
जिनने दिल को दर्द दे कर कर किनारा है लिया


                     उमेश कुमार श्रीवास्तव
www.hamarivani.com

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