शुक्रवार, 31 मई 2019

चन्द शेर (दर्द-ए-दिल)

चन्द शेर (दर्द-ए-दिल)

उनकी इश्क की इस अदा को देखो
दर्द हमें तब्बस्सुम गैरों को बांट देते हैं

दर्द दिल में जलन आंखों में लिये फिरते हैं
मरीज-ए-इश्क हैं, अश्कबार हुए फिरते हैं

उनकी मगरुरियत नालों पे कान देते नही
इक हम हैं कि पुकारे चले जाते हैं

उनको फिक्र कहां इश्क की बेकरारी की
उनको फुरसत नही अंजुमन के अपने तारों से

नज़रें दर पे कान आहटों पे लगे रहती है
न जाने कब हजूर बेआहट आमद दे दें

नालों--पुकार
अश्कबार---रोता हुआ
मगरूरियत--अंहकारग्रस्त
आमद- उपस्थिति
अंजुमन--महफिल
उमेश श्रीवास्तव , जबलपुर ३०.०१.२०१७

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