शुक्रवार, 31 मई 2019

मुक्तक

 मुक्तक


याद आती रही गुनगुनाती रही,
दिल में हजारो मृदंग बजाती रही ।
तल्ख धूप होती रही रात भर,
हर कली प्यार की मुरझुराती रही ।
अल सुबह चौंक कर हम जग गये,
असलियत मुझे मुंह चिढ़ाती रही ।
दूर बैठे हुए मुस्कुराओ यूं न तुम,
दिल की आवाज फरियाद लगाती रही ।

उमेश श्रीवास्तव

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें