बुधवार, 22 मई 2019

हूं शरणागत त्रिपुरारी

हूं शरणागत त्रिपुरारी

अय काल कराल
दिव्य ज्वाल
अय त्रिनेत्रधारी
नील कण्ठ
तेरी शरण  तेरी शरण
अभ्यागत है तेरी शरण

अय जटाधारी
भूतनाथ
अय मृगछालधारी
अघोरनाथ
दे वरदहस्त हूं शरण
तेरी शरण तेरी शरण

अय कृपापुन्ज
गंगधारी
शीतल करो
हिय अनल सारी
दूर कर सारे प्रमाद
दे कृपासिन्धु अपना प्रसाद
हूं खड़ा द्वारे तेरी शरण
तेरी शरण तेरी शरण

पशुवत बना जीवन मेरा
पशुपति तनिक तू देख ले
त्रिनेत्रधारी भस्म कर
तम भरे सारे विकार
हूं खड़ा द्वारे तेरी शरण
तेरी शरण तेरी शरण

इक बिन्दू का कण मात्र हूं
पर जलज तू ,हूं अंश मैं
पावन बनूं, पावन रहूं
ले भार तू ,जो अंश मैं
अभ्यागत बना आया हूं मैं
तेरी शरण तेरी शरण

हे शिव मेरे शंकर मेरे
भोला हूं मै ,भोले मेरे
हे भस्मांगधारी भस्म कर
अरि बन रहे विष अपार
अय त्रिशूलधारी त्रिपुण्डनाथ
त्रिताप हर आमोद भर
हूं खड़ा कब से शरण
तेरी शरण तेरी शरण

भय मुक्त कर निर्द्धन्द कर
इस पार भी उस पार भी
जीवन बने परमार्थकारी
निर्मल ,सजल , सत्यधारी
अर्चना के पुष्प संग, हूं शरण
तेरी शरण तेरी शरण

उमेश कुमार श्रीवास्तव जबलपुर दिनांक १८.०३.२०१७

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