शुक्रवार, 31 मई 2019

दर्दे दिल

दर्दे दिल


१-सम्मा की नियति यही , रात दिन जलती रहे
    रौशनी देती रहे , खुद को अंधेरे में रख
२-आहें भरना मेरी फ़ितरत नहीं थी
    दिल लगा के तूने यह भी सिखा दिया
३-गेसुओं की महक से महका चमन ये सारा
    दिल भी हुआ बेचैन यूँ लेता नहीं किनारा
४-हर पल उनकी याद में घुट-घुट के मरता रहा
    मगरूर हैं वो इस कदर, ख्वाबो में भी ना आए कभी
५-न खुदा से है शिकवा न नाखुदा से शिकायत
     जब कश्ती ही है टूटी, क्यूँ कर न डूब जाए
६-अश्क आँखो के ना जाने कहाँ खो गये
     जी चाहता रोने को, रो नही पाते
७-कुछ तो कर अब ,ऐ परवर दिगारे आलम
    जिंदगी कटती नही बिन दिदारे यार के
८-जर्द लब भी अब मेरे हो चले मयखाना
    जब से उनके लब मेरे लब से छू गये
९-अब तक तो ना झुके थे आफताब के आगे
    महताब सा पा तुझे सर  नगूं कर लिया
१०-नज़रो की शोख तब्बस्सुम जब रुखसार पे उतरी
      शर्मो हया से उनने झट परदा गिरा लिया
                           उमेश कुमार श्रीवास्तव

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