सोमवार, 13 मई 2019

शेर

१-इश्क को हद में बांध कर कोई कहे
डूब जा तू दर्द -ए-गुबार में

२-तूने यूं भिगोया मुझे अपनी इश्क  की बून्दो से ,
इस तरह तर हूं अब सूख जाऊं मुस्किल है।

३-जान के जाने का मंजर क्या होगा
तुझसे दूर होते ही जान लेता हूं।

४-तूने दीदार जो कराया जल्वा-ए-हुश्न ,
हूं अब तलक खोया हुआ तेरी रूह में हूं ।

५-है रुह को बस तेरी ही तमन्ना
तेरे जल्वे को बस देखता ही रहूं
मेरे सामने यूं ही बैठी रहो तुम
जिन्दगी भर यूं तुम्हे बस तकता रहूं

६-थी तमन्ना तुम्हारी शायरी में ढलो तुम
अब हर लफ्ज शेर का है तुम्हारे लिये

७-यूं न मचला करो जरा सम्हला करो
ये शुरूआत है इंतहां ये नहीं

८-तेरी आरजुओं से बन्ध गया हूं मैं
अब तमन्ना यही बस रिझाती रहो

उमेश श्रीवास्तव

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