मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

शेर-ए-दिल




किसी की याद में हमने जमाने को नही छोड़ा 
किसी की याद ने हमसे जमाने को छुड़ाया है.....उमेश

बुत से बने खड़े हैं मुन्तजर में हम
कि, वो देखते हर बुत करीने से छू छू....उमेश

खुशबू में डूब कर यूँ गुज़री है इधर से
ज्यूँ सबा गुज़रे चंदन के दरख्त छू ....उमेश

किसने कहा की यार ये गरमी का है मौसम
उनकी नज़र पड़ी औ हम काँपने लगे ....उमेश

मयकश बने न क्यूँ हर आम-वो-खाश आज
जब चल रही सड़क पर मीना-ए-मय हर तरफ....उमेश

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