गुरुवार, 5 सितंबर 2013

प्रियदर्शन

प्रियदर्शन




मन की अन्तह्तम गहराई से
उच्च्छवासित है मधुर हास
अधर मुकुल पुष्पित है जिससे
छाया तन मन पर मधुमास

केश राशि घन चूम कपोल
करते शशि से मधुकर रास
सर से सरक उतन्ग मध्य
चुनरी ने चुना सुकोमल वाश

स्पन्दित हिय कंपित साँसे
सरिता की कलरव का आभास
झुकझुक कटि से उठती तरुणी
स्तब्ध रुकी सरिता जल राशि

चंचल दृग उन्मुक्त रूप से
बुझा रहे पी की हर प्यास
आज अलौकिक प्रेम प्रभा ने
किया विरह तिमिर का नाश

..उमेश श्रीवास्तव...05.04.1992..

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