सोमवार, 9 सितंबर 2013

प्यार क्या है ?

प्यार क्या है ?


प्यार क्या है ?
महज इक उत्तेजना !
जो घेर लेती है क्षण में
और उतर जाती दूसरे क्षण
वासना के ज्वार सदृश्य

या, प्यार है वह संवेदना
जो जोड़ती है , न केवल
मानवो को मानवो से
वरन संपूर्ण प्रकृति को
 इक दूसरे से
इक दूसरे का हो कर

प्यार क्या है ?
क्या मानवता पाठ
विपरीत है इसके
या कि , मानवता
 उदभुत हुई है, इसी से

सोदेश्य बाधित किया है
चिंतन हमने
इस दिशा में
और  संतुष्ट हैं
वासना को ही प्यार का
नाम दे कर
जो नही वो

प्यार अमी है
सोम रस सी
पवित्र है,ब्रम्ह सी
सरस है, शहद सी
निर्मल है , निर्झरणी सी
अदृश्य है , आत्म सी
कमनीय है , दामिनी सी
वास करती है सभी में
सुरसरि सी

प्यार मिलन दो आत्म का
मरता कहाँ तज अस्थि-पंजर
प्यार सास्वत अजर अमर

                   उमेश कुमार श्रीवास्तव

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